गर श्याम से मिलना है,
एक बात समझ लेना,
हारे का साथी है,
सदा हार के तू रहना।।
तर्ज – भगवान मेरी नैया उस पार।
मीरा भी हारी थी,
गिरधर को पायी थी,
विष अमृत कर पाया,
मोहन को रिझाई थी,
नैनो में श्याम बसा,
विष पान किया करना,
हारे का साथी है,
सदा हार के तू रहना।।
नरसिहं जब हारा था,
सांवरिया आया था,
धर भेष सेठिये का,
क्या माल लुटाया था,
तारों से तार मिला,
मन पीड़ा सुना देना,
हारे का साथी है,
सदा हार के तू रहना।।
एक मित्र सुदामा था,
सर्वस्व अपना हारा,
इस मुरली मनोहर ने,
अपना सबकुछ वारा,
तू दिन हिन बनकर,
चरणों में रहा करना,
हारे का साथी है,
सदा हार के तू रहना।।
घनश्याम से प्रीत लगा,
देखो भक्त वत्सल हारे,
हारी हुई बाजी को,
श्री श्याम जीता डाले,
कहे श्याम बहादुर तू,
दर पे दे दे धरना,
हारे का साथी है,
सदा हार के तू रहना।।
गर श्याम से मिलना है,
एक बात समझ लेना,
हारे का साथी है,
सदा हार के तू रहना।।
https://youtu.be/-xp_2LdaGxU