अगर श्याम तेरी किरपा ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती।।
तर्ज – तुम्ही मेरे मंदिर।
दर दर की ठोकर खाते सुदामा,
अगर श्याम होता ना तेरा ठिकाना,
जरा सोचो उनकी दशा कैसी होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती,
अगर श्याम तेरी कृपा ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती।।
युगो तक अहिल्या पापिणी रहती,
शबरी की कुटिया भी वीरान रहती,
जो नरसी भी रोता और नानी भी रोती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती,
अगर श्याम तेरी कृपा ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती।।
अगर तुम ना भरते दिनो की झोली,
ना मनती कभी उनके घर में दिवाली,
रोने को भी ‘सोनू’ जगह ही ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती,
अगर श्याम तेरी कृपा ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती।।
अगर श्याम तेरी किरपा ना होती,
गरीबों को दुनिया जीने ना देती।।
Singer – Purushottam Agrawal