अगर श्यामा जु ना होती,
तो हम जैसो का क्या होता,
सफीना डूबता अपना,
भवर से पार ना होता,
अगर श्यामा जू ना होती,
तो हम जैसो का क्या होता।।
करो एक कोर करुणा की,
निभा लो जैसा भी हूँ मैं,
शरण में आता ना तेरी,
अगर विश्वास ना होता,
अगर श्यामा जू ना होती,
तो हम जैसो का क्या होता।।
बात गैरो की करे हम क्या,
हमे अपनों ने ठुकराया,
तेरी रेहमत पे जिन्दा हूँ,
में कबका मर गया होता,
अगर श्यामा जू ना होती,
तो हम जैसो का क्या होता।।
ना जाने कौन सा मंजर,
हमे बरसाना ले आया,
तेरा दरबार ना होता,
में भी सरकार ना होता,
अगर श्यामा जू ना होती,
तो हम जैसो का क्या होता।।
भला में और कहाँ जाता,
अगर तुम साथ ना होती,
अगर तुम भी ना अपनाती,
ये “माधव” कहाँ गया होता,
अगर श्यामा जू ना होती,
तो हम जैसो का क्या होता।।
अगर श्यामा जु ना होती,
तो हम जैसो का क्या होता,
सफीना डूबता अपना,
भवर से पार ना होता,
अगर श्यामा जू ना होती,
तो हम जैसो का क्या होता।।