अगर तुम साथ हो,
तुम बिन नजारों का,
गुलशन बहारो का,
दिल ये कहे मैं क्या करू,
दुख की घटा छाए,
अपने गर ठुकारएे,
दुनिया से मैं क्या डरु,
तन मन न्योछावर तुम पे करू,
अगर तुम साथ हो,
अगर तुम साथ हो।।
तर्ज – अगर तुम साथ हो।
बिखरी बिखरी महक पावन सी,
तेरी बगिया में,
मेरी दुनिया है तेरी आरज़ू में,
मैं खो जाती हू तेरे दर्शनो में,
अगर तुम साथ हो,
अगर तुम साथ हो।
मेरी सांसो में है तेरा सुमिरन,
तेरे सुमिरन से है मन राज़ी,
मुझे लगता है तू पास मेरे,
होती जब भी है मन में उदासी,
तुम साथ हो पास हो अनुभव करू,
मोह माया के गर्त में मैं क्यू पड़ू,
अगर तुम साथ हो,
अगर तुम साथ हो।।
सुमिरन करती साँसे माला की,
मन के उपवन में,
मेरा जीवन है तेरी रहमतो में,
मैं बस जाती हू तेरी धड़कनो में,
अगर तुम साथ हो,
अगर तुम साथ हो,
मेरी सांसो में है तेरा सुमिरन,
तेरे सुमिरन से है मान राज़ी,
मुझे लगता है तू पास मेरे,
होती जब भी है मॅन में उदासी,
तुम साथ हो पास हो अनुभव करू,
मोह माया के गर्त में मैं क्यू पड़ूँ,
अगर तुम साथ हो,
अगर तुम साथ हो।।
बेगाने बन बैठे,
दीवाने बन बैठे,
सांवरे मैं तुमपे मरू,
सपनो में तू आजा,
जया को अपना जा,
आँखो में तुमको भरू,
तन मन न्योछावर तुम पे करू,
अगर तुम साथ हों,
अगर तुम साथ हो।।
मेरी सांसो में है तेरा सुमिरन,
तेरे सुमिरन से है मान राज़ी,
मुझे लगता है तू पास मेरे,
होती जब भी है मन में उदासी,
तुम साथ हो पास हो अनुभव करू,
मो माया के गर्त में मैं क्यू पडूँ,
अगर तुम साथ हों,
अगर तुम साथ हो।।
किस्मत बदल जाए,
अगर तुम साथ हों,
जीवन सवर जाए,
अगर तुम साथ हों,
मंज़िल भी मिल जाए,
अगर तुम साथ हों,
जीवन सवर जाए,
अगर तुम साथ हो।।