ऐसा है विश्वास हमारा,
जहाँ जहाँ मैं जाऊंगा,
शीश के दानी श्याम प्रभु को,
वहाँ वहाँ मैं पाऊंगा।।
तर्ज – क्या मिलिए ऐसे।
गांव गांव और गली गली में,
श्याम नाम का जोर है,
जिधर भी देखूं उधर श्याम के,
रस में सभी विभोर है,
जहाँ मिलेंगे श्याम के प्रेमी,
मैं भी वहीँ रम जाऊंगा,
शीश के दानी श्याम प्रभु को,
वहाँ वहाँ मैं पाऊंगा।।
देख देख कर श्याम का परचम,
मन मेरा ये कहने लगा,
पाप की नैया अब डूबेगी,
सूर्य धर्म का चढने लगा,
लाली माँ ने मस्ती भर दी,
और भला क्या चाहूंगा,
शीश के दानी श्याम प्रभु को,
वहाँ वहाँ मैं पाऊंगा।।
सुनले मेरी बात ध्यान से,
अब प्यारे मत देर करो,
अब भी समय है श्याम सुमरले,
पापों का मत ढेर करो,
दास मैं तेरा तू है मेरा,
गीत श्याम के गाऊंगा,
शीश के दानी श्याम प्रभु को,
वहाँ वहाँ मैं पाऊंगा।।
ऐसा है विश्वास हमारा,
जहाँ जहाँ मैं जाऊंगा,
शीश के दानी श्याम प्रभु को,
वहाँ वहाँ मैं पाऊंगा।।
Singer – Govind Damani