ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,
राघव जी तुम्हें,
ऐसा किसने बनाया।।
पर नारी पर दृष्टि ना डाली,
ऐसी तुम्हरी प्रकृति निराली,
तुम्हें वाल्मीकि,
तुलसी ने गाया,
राघव जी तुम्हें,
ऐसा किसने बनाया।।
अवगुण देख के क्रोध ना आता,
भक्तों को देख के प्रेम ही समाता,
धन्य कौशल्याजू,
जिसने तुम्हें जाया,
राघव जी तुम्हें,
ऐसा किसने बनाया।।
अपने किये का अभिमान ना तुमको,
निजजन का सनमान है तुमको,
तुम्हें रामभद्राचार्य,
अति भाया,
राघव जी तुम्हें,
ऐसा किसने बनाया।।
ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,
राघव जी तुम्हें,
ऐसा किसने बनाया।।
गायक – देवेंद्र पाठक जी महाराज।
प्रेषक – अनुज मिश्रा।
9548338016