ऐसी बंसी बजाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने,
नी मै हुई दीवानी,
नी मै हुई मस्तानी,
ऐसी बंसी बजाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने।।
मुरली की धुन जब पड़ी कानन में,
नींद ना आई श्याम मेरे नैनन में,
मेरी निंदिया उड़ाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने,
नी मै हुई दीवानी,
नी मै हुई मस्तानी,
ऐसी बंसी बजाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने।।
मुरली की धुन सुन जिया लहराए,
उठे उमंग रहा नहीं जाये,
ऐसी मस्ती चढ़ाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने,
नी मै हुई दीवानी,
नी मै हुई मस्तानी,
ऐसी मुरली बजाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने।।
यमुना किनारे श्याम बंसी बजाये,
एक एक सखी को नाच नचावे,
ऐसी रास रचाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने,
नी मै हुई दीवानी,
नी मै हुई मस्तानी,
ऐसी मुरली बजाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने।।
मुरली की धुन सुन ऐसी मै हो गई,
दुनिया को छोड़ा श्याम तेरी मै हो गई,
ऐसी लगन लगाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने,
नी मै हुई दीवानी,
नी मै हुई मस्तानी,
ऐसी मुरली बजाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने।।
ऐसी बंसी बजाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने,
नी मै हुई दीवानी,
नी मै हुई मस्तानी,
ऐसी बंसी बजाई श्याम ने,
मेरी सुध बिसराई श्याम ने।।