ऐसी करी गुरुदेव दया,
मेरे मोह का बन्धन तोड़ दिया।।
दौड़ रहा दिन रात सदा,
जग के सब कार बिहारन में,
सपने सम विश्व दिखाय मुझे,
मेरे चंचल चित्त को मोड़ दिया।।
कोई शेष महेश गणेश रटे,
कोई पूजत पीर पैगम्बर को,
सब पंथ ग्रंथ छुड़ा करके,
इक ईश्वर में मन जोड़ दिया।।
कोई ढुंढत है मथुरा काशी,
कोई जाय बनारस बास करे,
जब व्यापक रुप पिछान लिया,
सब भरम का भाण्ड़ा फोड़ दिया।।
कौन करुं गुरुदेव को भेंट,
न वस्तु दिखे तिहुं लोकन में,
‘ब्रम्हानंद’ समान न होय कभी,
धन माणिक लाख करोड़ दिया।।
ऐसी करी गुरुदेव दया,
मेरे मोह का बन्धन तोड़ दिया।।
गायक- राधेश्याम शर्मा साड़ासर।
रचना – ब्रह्मानंद जी महाराज।
प्रेषक – सांवरिया निवाई।
7014827014