ऐसी पूजा करने से तू,
होगा नहीं निहाल,
भजन मनन फिर करना पहले,
दिल से मैल निकाल।।
तर्ज – चांदी जैसा रंग है तेरा।
काशी मथुरा घूम ले प्राणी,
भटक ले चारों धाम,
बार बार तू जप ले चाहे,
जितना हरि का नाम,
कुछ ना मिलेगा तुझको प्राणी,
कर ले तीर्थ तमाम,
जब तक तेरे मन में रहेगा,
मोह माया का जाल,
भजन मनन फिर करना पहले,
दिल से मैल निकाल।।
मन में तेरे लोभ भरा है,
इसलिए करता जाप,
औरों को तू बुरा बताए,
बुरा तो खुद है आप,
मन की मैल ना धोई तूने,
तन को करता साफ,
एक दिन माटी मिल जाएगी,
तेरी सुन्दर खाल,
भजन मनन फिर करना पहले,
दिल से मैल निकाल।।
अपने दिल से त्याग दे प्राणी,
नफरत और ये बैर,
अपने संग में औरों की भी,
मांग प्रभु से खैर,
नेक धर्म में कभी भी प्राणी,
तू ना करना देर,
भला करम जो करेगा प्राणी,
दरशन देंगे राम,
भजन मनन फिर करना पहले,
दिल से मैल निकाल।।
ऐसी पूजा करने से तू,
होगा नहीं निहाल,
भजन मनन फिर करना पहले,
दिल से मैल निकाल।।
Singer / Upload – Shalu Maheshwari