अरर तेरे समझ क्यूँ नावे,
अकल तेरी भैंस चरावै,
लेलै उपरवाले का नाम तू,
पैसा पैसा करते करते,
तू मर जाएगा,
जाएगा तो साथ में तेरे,
कुछ ना जाएगा,
लेलै नाम हरि का बंदे,
काम वो आएगा,
नहीं तो प्यारे अंतकाल में,
तू पछतायेगा।
अरर तेरे समझ क्यूँ नावै,
अकल तेरी भैंस चरावे,
लेलै उपरवाले का नाम तू।।
बहुत कमाया पैसा,
और तूने नाम कमाया है,
गाड़ी घोड़ा ऊंचा बंगला,
खूब बनाया है,
उस बंगले पे तूने अपना,
नाम लिखाया है,
राम नाम को अपने दिल से,
दूर भगाया है।
अरर तेरे समझ क्यूँ नावै,
अकल तेरी भैंस चरावे,
लेलै उपरवाले का नाम तू।।
पहर ऊजला कपड़ा तू तो,
काम करैं काला,
सुबह संत और शाम को होले,
मद में मतवाला,
तेरी यो तरकीब बावला,
हर कोई जाने स,
गफलत में डूब्या स या,
भगवान भी जाने स।
अरर तेरे समझ क्यूँ नावै,
अकल तेरी भैंस चरावे,
लेलै उपरवाले का नाम तू।।
बैठ्या बनके भोला जैसे,
कुछ भी ना जाणै,
इत उत की चुगली करणा तो,
खूब घणी जाणै,
मोह माया में डूब रिया तू,
किसै ना पहचानै,
ऊंची ठुड्डी करके खुद को,
बड़ो घणो मानै।
अरर तेरे समझ क्यूँ नावै,
अकल तेरी भैंस चरावे,
लेलै उपरवाले का नाम तू।।
अरर तेरे समझ क्यूँ नावे,
अकल तेरी भैंस चरावै,
लेलै उपरवाले का नाम तू,
पैसा पैसा करते करते,
तू मर जाएगा,
जाएगा तो साथ में तेरे,
कुछ ना जाएगा,
लेलै नाम हरि का बंदे,
काम वो आएगा,
नहीं तो प्यारे अंतकाल में,
तू पछतायेगा।
अरर तेरे समझ क्यूँ नावै,
अकल तेरी भैंस चरावे,
लेलै उपरवाले का नाम तू।।
लेखक / गायक – मुकेश कुमार मीना।
Sur Sangam Harmonium
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