अपना घर हो भक्ति धाम,
अपना घर हो शक्ति धाम,
हर बाधा को पार करें हम,
हर बाधा को पार करें हम,
ऐसा सुंदर युक्ति धाम।।
नित्य वंदना परम प्रभु की,
चले निरंतर सतत प्रवाह,
हर पंछी आनंद से चहके,
सुख संतोष की पकड़े राह,
मंगल चर्चा आत्म चिंतना हो,
मंगल चर्चा आत्म चिंतना,
वरिष्ठ जनों का हो सम्मान।।
हर बाला और हर एक बालक,
बाल उपासना सतत करें,
मन एकाग्र हो प्रख्या प्रकटे,
विविध विधाएं ज्ञान भरे,
परम शक्तियों से हो सज्जित हो,
परम शक्तियों से हो सज्जित,
कर्म क्षेत्र में हो प्रस्थान।।
अपने आँगन में ही सीखें,
व्यवहारिक कौशल्य महान,
देव अतिथि मित्र कुटुम्बी,
मिलजुल कर बनते गुणवान,
सेवाव्रत ले बढ़ते जाए हो,
सेवाव्रत ले बढ़ते जाए,
तेजोमय हो नवउत्थान।।
अपना घर हो भक्ति धाम,
अपना घर हो शक्ति धाम,
हर बाधा को पार करें हम,
हर बाधा को पार करें हम,
ऐसा सुंदर युक्ति धाम।।
रचनाकार – आदरणीय नंदलाल जी बाबाजी।
(वरिष्ठ प्रचारक)
स्वर – प्रदीप जोशी।
अपलोड – नवीन जांगिड़ किन्जा।
(खंड कुटुंब प्रबोधन)
9602608881