अपने भगत की तू ही सुने फरियाद,
दोहा – खाटू जाकर देख ले,
झुकती दर पे दुनिया सारी,
बिगड़ी हुई वहां बनती,
मिटती है हर लाचारी।
अपने भगत की तू ही सुने फरियाद,
ऐ श्याम तेरी माला जपूँ दिन रात,
ऐ श्याम तेरी माला जपूँ दिन रात।।
तर्ज – साई तेरी शिरडी को मेरा।
गीत – सोलह बरस की।
दुनिया ने लीले वाले,
कितने ही गम दिए,
दुनिया की ठोकरों में,
अब तलक था पड़ा,
कोई नहीं था जिसको,
दुखड़े मैं गा सकूँ,
निष्ठुर बना था कान्हा,
बिलकुल ही ये जहान,
तुमने ऐ खाटू वाले,
दुःख मेरे हर लिए,
मेरी कलाई थामी,
बिगड़ी बनाई बात,
ऐ श्याम तेरी माला जपूँ दिन रात,
ऐ श्याम तेरी माला जपूँ दिन रात।।
मिलता रहे सदा ही,
श्याम तेरा प्रेम यूँ,
बेटे पे रखना दाता,
हर घड़ी तू दया,
किरपा का हाथ मेरे,
सर पर सदा रहे,
अब तक निभाया तूने,
आगे भी तू निभा,
जालिम है दुनिया वाले,
रो रो कहे ये दिल,
किस्मत संवर ये जाए,
जो मिल जाए तेरा साथ,
ऐ श्याम तेरी माला जपूँ दिन रात,
ऐ श्याम तेरी माला जपूँ दिन रात।।
चरणों की धुल दे दे,
चाकर बना मुझे,
जीवन बिताऊं अपना,
चोखट पे मैं तेरी,
अपनी शरण में लेले,
आ मुझको सांवरे,
यूँ ही मैं हर पल गाऊं,
महिमा सदा तेरी,
जैसी सजा हो कान्हा,
चाहे तू दे मुझे,
पर ‘हर्ष’ तू दया का,
मेरे सिर पे रखना हाथ,
ऐ श्याम तेरी माला जपूँ दिन रात,
ऐ श्याम तेरी माला जपूँ दिन रात।।
अपने भगत की तू ही सुनें फरियाद,
ऐ श्याम तेरी माला जपूँ दिन रात,
ऐ श्याम तेरी माला जपूँ दिन रात।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।