अपने भगत से कितना,
माँ प्यार करती है,
रहती है झुँझन में,
पर ध्यान रखती है,
अपनें भगत से कितना,
माँ प्यार करती है।।
जब भी पुकारूँ मैं,
माँ दौड़ कर आए,
चांदी का सिंहासन,
माँ छोड़कर आए,
अपने भगत पर कितना,
उपकार करती है,
रहती है झुँझन में,
पर ध्यान रखती है,
अपनें भगत से कितना,
माँ प्यार करती है।।
करती है रखवाली,
दिन रात भक्तों की,
सुनती हमेशा वो,
हर बात भक्तों की,
मजधार हो नैया,
माँ पार करती है,
रहती है झुँझन में,
पर ध्यान रखती है,
अपनें भगत से कितना,
माँ प्यार करती है।।
हम मांगते रहते,
वो भेजती रहती,
भक्तों की हालत को,
वो देखती रहती,
भक्तों की खाली झोली,
हर बार भरती है,
रहती है झुँझन में,
पर ध्यान रखती है,
अपनें भगत से कितना,
माँ प्यार करती है।।
कर्जा तुम्हारा माँ,
कैसे उतारेंगे,
‘बनवारी’ सेवा में,
जीवन गुजारेंगे,
गर्दन झुकी है मेरी,
आँखें बरसती है,
रहती है झुँझन में,
पर ध्यान रखती है,
अपनें भगत से कितना,
माँ प्यार करती है।।
अपने भगत से कितना,
माँ प्यार करती है,
रहती है झुँझन में,
पर ध्यान रखती है,
अपनें भगत से कितना,
माँ प्यार करती है।।
Singer – Saurabh & Keshav Madhukar