अपने पिया की मीरा,
बनी रे जोगनीया।
दोहा – कृष्णा थे भले आवजो,
सरद पुनम री रेण,
था बीन घड़ी अणि यावडे,
मारा बीलखा लागे नैण।
बीलखा लागे नैण,
हीया मे लागि करोती,
नैण रया जर नय,
बीरे रा टपके मोती।
अपने पिया की मीरा,
बनी रे जोगनीया,
आवो नी पधारो,
मारा साँवरिया,
मारा साँवरिया,
मीरा बनी रे जोगनीया,
अपने पीया की मीरा,
बनी रे जोगनीया।।
मनडे रो मोर थारा,
दरशण खातर तरसे है,
आँख क्यारा आँसु डा,
सावण झु बरसे है,
टप टप पलका सु नैण भरीया,
हो कान्हा,
टप टप पलका सु नैण भरीया,
मीरा बनी रे जोगनीया,
अपने पीया की मीरा,
बनी रे जोगनीया।।
घर रा लोग मने,
बावरी बतावै,
संग री सहेल्या मापे,
आंगली ऊठावे,
हसी ऊडावे नेना टाबरिया,
हो कान्हा,
हसी ऊडावे नेना टाबरिया,
मीरा बनी रे जोगनीया,
अपने पीया की मीरा,
बनी रे जोगनीया।।
सुख सारा छोडीया मैं,
मोहन थारा कारणे,
भगवा सा वेस करीया,
आई थारे बारणे,
छोड्या परिवार,
छोड्या सासरीया,
हो कान्हा,
छोड्या परिवार,
छोडीया सासरीया,
मीरा बनी रे जोगनीया,
अपने पीया की मीरा,
बनी रे जोगनीया।।
चाहे जितने दुख दे ले,
चाहे तु परखले,
एक बात मारी तू,
कान खोल सुणले,
तू है मोहन मैं तेरी जोगनीया,
हो कान्हा,
तू है मोहन मैं तेरी जोगनीया,
मीरा बनी रे जोगनीया,
अपने पीया की मीरा,
बनी रे जोगनीया।।
अपने पिया की मीरा,
बनी रे जोगनीया,
आवो नी पधारो,
मारा साँवरिया,
मारा साँवरिया,
मीरा बनी रे जोगनीया,
अपने पीया की मीरा,
बनी रे जोगनीया।।
स्वर – मोईनुद्दीन जी मनचला।
प्रेषक – નારાયણ જાંઘીડ
6378473647