अपने सांवरिया के मैं करीब हूँ,
मैं दुनिया में सबसे खुशनसीब हूँ,
अपने साँवरिया के मैं करीब हूँ।।
श्याम का दर घर लगता अपना,
इस दर से हुआ सच हर सपना,
जब भी मैं हार के दर पे आता हूँ,
दुनिया के सारे ग़म भूल जाता हूँ,
साथी मेरा हर पल हर क्षण,
ये मेरा मैं इसका राहगीर हूँ,
मैं दुनिया में सबसे खुशनसीब हूँ,
अपने साँवरिया के मैं करीब हूँ।।
श्याम नाम धन मैंने पाया,
जीवन मेरा है हर्षाया,
जब जब मैं श्याम का नाम लेता हूँ,
तब तब मैं खुशियों को थाम लेता हूँ,
नाम की दौलत मुझको मिली है,
कौन कहेगा मुझको मैं गरीब हूँ,
मैं दुनिया में सबसे खुशनसीब हूँ,
अपने साँवरिया के मैं करीब हूँ।।
सबका मालिक श्याम धणी है,
श्याम कृपा चहुँ और घणी है,
जीवन में अब कोई शिकवा नहीं गीला,
आनंद ही आनंद है आनंदधन मुझे मिला,
‘बिट्टू’ भजन से ज़िन्दगी बनी है,
ये मेरे और इसके मैं करीब हूँ,
मैं दुनिया में सबसे खुशनसीब हूँ,
अपने साँवरिया के मैं करीब हूँ।।
अपने सांवरिया के मैं करीब हूँ,
मैं दुनिया में सबसे खुशनसीब हूँ,
अपने साँवरिया के मैं करीब हूँ।।
Singer & Writer – Balram Vashisth