अपनी ममता की शरण में ले लो माँ,
तर्ज – दूल्हे का सेहरा।
दोहा – फिज़ाओ की हवा कह रही है,
ख़ुशी की मुबारक घड़ी आ गई है,
सजी लाल चुनरी में शारदा मैया,
फलक से जमी पे चली आ रही है।
अपनी ममता की शरण में ले लो माँ,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ,
दुःख के तूफा ने सताया है मुझको,
दुःख के तूफा ने सताया है मुझको,
जीवन कश्ती को सहारा दे दो माँ,
अपनी ममता की शरण में ले लो मां,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ।।
रात दिन दर पे खड़े फरियाद करते है,
भूल जग को बस तुम्हे हम याद करते है,
है पड़ा मजधार बेडा पार कर दो माँ,
हूँ दुखो से मैं घिरा उद्धार कर दो माँ,
अपनी शक्ति का नजारा दे दो माँ,
अपनी शक्ति का नजारा दे दो माँ,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ,
अपनी ममता की शरण में ले लो मां,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ।।
तेरे चेहरे की चमक सूरज के जैसी है,
मेरे मन में तू बसी मूरत के जैसी है,
रात दिन हम याद करते है छवि तेरी,
शीश पे रख दे दया का हाथ माँ मेरी,
अपना दर्शन हमको प्यारा दे दो माँ,
अपना दर्शन हमको प्यारा दे दो माँ,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ,
अपनी ममता की शरण में ले लो मां,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ।।
कोई बोले शारदा कोई कहे काली,
अपने आचक की है माँ झोली भरे खाली,
फैली है मिन्नत की झोली तुम उसे भरदो,
है घिरा ‘आशीष’ दुःख में दूर तुम करदो,
कष्टों से सबको छुटकारा दे दो माँ,
कष्टों से सबको छुटकारा दे दो माँ,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ,
अपनी ममता की शरण में ले लो मां,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ।।
अपनी ममता की शरण में ले लो माँ,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ,
दुःख के तूफा ने सताया है मुझको,
दुःख के तूफा ने सताया है मुझको,
जीवन कश्ती को सहारा दे दो माँ,
अपनी ममता की शरण में ले लो मां,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ,
निर्बल को अपना सहारा दे दो माँ।।
गायक – आशीष अकेला।