अपनी वाणी में अमृत घोल,
ओ रसना राधे राधे बोल,
ये बोल बड़े अनमोल,
ओ रसना राधे राधे बोल।।
राधा जी बरसाने वारी,
राधा जी वृषभानु दुलारी,
राधा जी बरसाने वारी,
राधा जी वृषभानु दुलारी,
दो अक्षर आधार जगत के,
दो अक्षर आधार जगत के,
ये अक्षर अनमोल,
ओ रसना राधे राधे बोल,
रसना राधे राधे बोल।।
राधा जी महारास रचावे,
राधा जी नन्दलाल नचावे,
राधा जी महारास रचावे,
राधा जी नन्दलाल नचावे,
इस छवि को भर के नयनन में,
इस छवि को भर के नयनन में,
अन्तर के पट खोल,
ओ रसना राधे राधे बोल,
रसना राधे राधे बोल।।
बिन राधा नहीं सजे बिहारी,
बिन राधा नहीं मिले बनवारी,
बिन राधा नहीं सजे बिहारी,
बिन राधा नहीं मिले बनवारी,
इनके चरण पकड़ ले नादान,
इनके चरण पकड़ ले नादान,
भटक ना दर दर डोल,
ओ रसना राधे राधे बोल,
रसना राधे राधे बोल।।
अपनी वाणी में अमृत घोल,
ओ रसना राधे राधे बोल,
ये बोल बड़े अनमोल,
ओ रसना राधे राधे बोल।।
स्वर – श्री मृदुल कृष्ण जी शास्त्री।
https://youtu.be/NTpAXZ5Ak-Y