अरु धर लाल लंगूर,
कर अर्जी मंजूर,
तेरे द्वार पै,
भगत खडया।।
जो तू चाहवैगा,
बस वो ही होणा सै,
मै सबकुछ खो बैठ्या,
बस आपा खोणा सै,
मेरी जब तक पेश चली,
हे बजरंग बली,
मै दुनियादारी तै ,
घणा लड्या,
घणा लड्या।।
मैं सुणकै तेरा नाम,
आ गया मेहंदीपुर धाम,
तेरा चमत्कार देख्या,
होता मनै सरेआम,
जब मिले तेरे तै नैन,
मै हो गया तेरा फैन,
इस दीदार का,
नशा चढ़या,
नशा चढ़या।।
मेरी चारूं कानी तै,
फसी विपत मै ज्यान,
तू सब कुछ जानै सै,
हे बाला जी भगवान,
तेरे हाथ मै मेरी लाज,
हे कलयुग के सरताज़,
मनै बचाले नै,
शरण पड्या,
शरण पड्या।।
मेरे गुरु सुरेंद्र की,
सै सबतै न्यारी बात,
आशीष कौशिक भी,
तनै ध्यावै सै दिन रात,
धर कै तेरा ध्यान,
हे रामभगत हनुमान,
यो संजीत नै,
छन्द घड्या,
छन्द घड्या।।
अरु धर लाल लंगूर,
कर अर्जी मंजूर,
तेरे द्वार पै,
भगत खडया।।
गायक – आशीष कौशिक समचाना।
8708684936
लेखक- संजीत समोरा।
प्रेषक – सागर।
8168000311