अरे लंका वालो,
रावण से कह दो।
तर्ज – ये माना मेरी जा।
दोहा – कह दो कह दो रावण से ये,
अरे ओ लंका वालो,
की तेरी लंका में,
बलवान एक आया है,
बचाई जाए तो बचा लो जान,
मिटाने नाम वो,
तेरे नगर का आया है।
अरे लंका वालो,
रावण से कह दो,
लंका में तेरी राम,
दूत आ गया है,
गदा संग है भारी,
वीर बलकारी,
चखाने मज़ा अंजनी,
पूत आ गया है,
अरें लंका वालो,
रावण से कह दो,
लंका में तेरी राम,
दूत आ गया है।।
पार सातो सिंधु,
करके वो आया,
लंकनी से भी ना,
वो रुक पाया,
एक लात मारी,
असुरी पछारी,
कपि एक बड़ा अब,
दूत आ गया है,
अरें लंका वालो,
रावण से कह दो,
लंका में तेरी राम,
दूत आ गया है।।
बाग और उपवन,
उसने उजाड़े,
कुछ वृक्ष तोड़े,
कुछ है उखाड़े,
रुकता ना रोके,
ताल सब को ठोके,
मचाता वो लंका में,
लूट आ गया है,
अरें लंका वालो,
रावण से कह दो,
लंका में तेरी राम,
दूत आ गया है।।
मिटा दूँगा मैं तेरी,
सोने की लंका,
कहे है वो वानर ये,
बजाकर के डंका,
कुछ ना रहेगा,
सब कुछ जलेगा,
असुरो का मिटाने अब,
सबूत आ गया है,
गदा संग है भारी,
वीर बलकारी,
चखाने मज़ा अंजनी,
पूत आ गया है,
लंका में तेरी राम,
दूत आ गया है,
अरें लंका वालो,
रावण से कह दो,
लंका में तेरी राम,
दूत आ गया है।।
अरे लंका वालो,
रावण से कह दो,
लंका में तेरी राम,
दूत आ गया है,
गदा संग है भारी,
वीर बलकारी,
चखाने मज़ा अंजनी,
पूत आ गया है,
अरें लंका वालो,
रावण से कह दो,
लंका में तेरी राम,
दूत आ गया है।।
स्वर – रामकुमार जी लख्खा।