अरे रे तेरे खेल निराले,
बाबोसा चुरू वाले,
कलयुग में बाबा मशहूर तू,
सच्चा है तू सच्चा तेरा दरबार,
दिन दुखियों का तू ही दातार,
अजब अनोखे है तेरे चमत्कार,
हो रही जग में तेरी जय जयकार,
अरे रे तेरे खेल निरालें,
बाबोसा चुरू वाले,
कलयुग में बाबा मशहूर तू।।
तर्ज – अरे रे मेरी जान है।
रोज नये चमत्कार करता है तू,
भक्तो के संकट को हरता है तू,
सबकी मुरादे पूरी करता है तू,
बिन मांगे झोलियाँ भरता है तू,
अरे रे तेरे खेल निरालें,
बाबोसा चुरू वाले,
कलयुग में बाबा मशहूर तू।।
पल में पलट जाये किस्मत की रेख,
एक बार चुरू धाम आके देख,
एक नही लाखो की बनी है तकदीर,
संकट मोचन बन हरे सबकी पीर,
अरे रे तेरे खेल निरालें,
बाबोसा चुरू वाले,
कलयुग में बाबा मशहूर तू।।
बाईसा को मिला श्री बाबोसा का प्यार,
बाबोसा का होता बाईसा में दीदार,
कृपा बाबोसा की बाईसा का उपकार,
‘दिलबर’ मिला है खुशियों का संसार,
कपिल को दर बुलाले,
ओ दिलबर दिल में बसाले,
मेरे जीवन का आधार तू।।
अरे रे तेरे खेल निराले,
बाबोसा चुरू वाले,
कलयुग में बाबा मशहूर तू,
सच्चा है तू सच्चा तेरा दरबार,
दिन दुखियों का तू ही दातार,
अजब अनोखे है तेरे चमत्कार,
हो रही जग में तेरी जय जयकार,
अरे रे तेरे खेल निरालें,
बाबोसा चुरू वाले,
कलयुग में बाबा मशहूर तू।।
गायक – श्री कपिल पुरोहित इंदौर।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
9907023365