असमंजस में डाला,
गडबड़ घोटाला,
समझ के बाहर है।।
रज चरणों ने अहिल्या को तारी,
पत्थर से बन गई वापस नारी,
गोद में लक्ष्मण लाला,
गडबड़ घोटाला,
समझ के बाहर है।।
प्रभुराम ने शिव धनुष को तोड़ा,
जनक लली से नाता जोड़ा,
वो टूटा धनुष कहां डाला,
गडबड़ घोटाला,
समझ के बाहर है।।
समुन्दर माहीं भाटा तरग्या,
बानर भालू सब पार उतरग्या,
उड़कर गये क्यों बजरंग बाला,
गडबड़ घोटाला,
समझ के बाहर है।।
बीस भुजा दस शीश को रावन,
पग दो ही क्यों बनाये भगवान,
क्या कम पड़ गया हेमशाला,
गडबड़ घोटाला,
समझ के बाहर है।।
अनहोनी ने होनी करदे,
जूंठा बोर संजीवनी करदे,
फिर लक्ष्मण ने क्यों टाला,
गडबड़ घोटाला,
समझ के बाहर है।।
ज्ञानी ध्यानी पच पच हारे,
पार नहीं कोई पाया है प्यारे,
अंधियारा उजियाला,
गडबड़ घोटाला,
समझ के बाहर है।।
इन्दर गरजे बादल बरसे,
गलत्यो वेजा कटे कोई तरसे,
बिजली पड़जा गोपाला,
गडबड़ घोटाला,
समझ के बाहर है।।
असमंजस में डाला,
गडबड़ घोटाला,
समझ के बाहर है।।
गायक – दुर्गेश जी लालपुरा,ओंकार जी राव।
प्रेषक – बालाजी टेलर नग्जी राम धाकड़।
गोपालपुरा 9799285289