अटक गया मन श्याम मेरा,
तेरी लटकन में,
काला जादू है इन काली,
अंखियन में,
पार जिगर के काजल की,
ये धार हुई,
बंध गया दिल दीवाना,
बाजू बंधन में,
काला जादू है इन काली,
अंखियन में।।
तर्ज – दूल्हे का सेहरा।
करके जब तिरछी नजरिया,
मुस्कुराए तू,
दिल तो क्या है आत्मा में,
आए जाए तू,
गाल मक्खन से है तेरी,
चाल मस्तानी,
चांद शर्मा जाए मुखड़ा,
ऐसा नूरानी,
तेरे पीछे डोलू तेरी,
गलियन में,
काला जादू है इन काली,
अंखियन में।।
तू मुझे मिल जाए जो,
फागुन के मेले में,
भीगना है संग तेरे,
प्यारे अकेले में,
अपने रंग में रंग दे ना तू,
मुझको सांवरिया,
पिचकारी का काम करेगी,
तेरी बांसुरिया,
आ जाऊंगा फिर मैं तेरी,
बतियन में,
काला जादू है इन काली,
अंखियन में।।
मोरपंखी का मुकुट,
पांवो में पैजनिया,
बिक गया बिन दाम मेरे,
श्याम ये बनिया,
बांध ली जब ग्यारस के दिन,
जयपुरी पगड़ी,
झूम के ठुमका लगाया,
पहन के तगड़ी,
लुट गए लाखो तेरी कमर की,
लचकन में,
काला जादू है इन काली,
अंखियन में।।
अटक गया मन श्याम मेरा,
तेरी लटकन में,
काला जादू है इन काली,
अंखियन में,
पार जिगर के काजल की,
ये धार हुई,
बंध गया दिल दीवाना,
बाजू बंधन में,
काला जादू है इन काली,
अंखियन में।।
स्वर- राम शंकर जी।
लेखक- रवि चोपड़ा जी।
प्रेषक – मोनिक लबानिया जी।