बार बार यूँ कहे ब्राम्हणी,
सुनो सुदामा दास,
बार बार यु कहे ब्राम्हणी,
सुनो सुदामा दास,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ।।
पूछे द्वारिका जाय कन्हैयो कहा रेवे,
पूछे द्वारिका जाय कन्हैयो कहा रेवे,
फाटा कपड़ा देख मस्करी सारा करे,
फाटा कपड़ा देख मिस्करी सारा करे,
जितने मे एक मिलीयो दयालु,
जितने मे एक मिलीयो दयालु,
दीनो द्वार बताय,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ।।
द्वारपाल जाय कयो आदमी एक आयो,
द्वारपाल जाय कयो आदमी एक आयो,
फाटा कपड़ा नाम सुदामा बतलायो,
फाटा कपड़ा नाम सुदामा बतलायो,
सुनते ही अब नंगे पैरों,
सुनते ही अब नंगे पैरो,
दौडे दीनदयाल,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ।।
मिलीया गले लगाय सिंहासन बैठायो,
मिलीया गले लगाय सिंहासन बैठायो,
एक दशा आधीन जीवडो दुख पायो,
एक दशा आधीन जीवडो दुख पायो,
आंसू जल से पैर धो रहे,
आंसू जल से पैर धो रहे,
जग के पालनहार,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ।।
करी खातरी खूब सुदामा शरमाए,
करी खातरी खूब सुदामा शरमाए,
लाडू पेडा ओर इमरती मंगवाए,
लाडू पेडा ओर इमरती मंगवाए,
चावल गेरी पोट खाक मे छुपी हुई,
चावल गेरी पोट खाक में छुपी हुई,
नजर पडी जद कृष्ण चंद्र की,
नजर पडी जद कृष्ण चंन्द्र की,
लिनी पोटली हाथ,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ।।
दो मुठ्ठी खाय तीसरी भरने लगे,
दो मुठ्ठी खाय तीसरी भरने लगे,
रुक्मण पकड्यो हाथ नाथ क्या करने लगे,
रूक्मण पकड्यो हाथ नाथ क्या करने लगे,
तीन लोक दे दीनो सावरा,
तीन लोक दे दीनो सावरा,
हम हो गए बेकार,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ।।
राखीयो दो दिन चार जदे विदा कियो,
राखीयो दो दिन चार जदे विदा कियो,
मुख सु मांगीयो नाही नाही हरि दियो,
मुख सु मांगीयो नाही नाही हरि दियो,
चले सोचकर पूछे ब्राम्हणी,
चले सोचकर पूछे ब्राम्हणी,
क्या दूंगा जवाब,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ।।
पहूंचे नगरी माय झूपडी नही मिली,
पहुंचे नगरी माय झूपडी नही मिली,
महला ऊपर ऊबी ब्राम्हणी बुला रही,
महला ऊपर ऊबी ब्राम्हणी बुला रही,
दास आयेने यु बुलावे,
दास आयेने यु बुलावे,
थारे घर के बाहर,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ।।
बार बार यूँ कहे ब्राम्हणी,
सुनो सुदामा दास,
बार बार यु कहे ब्राम्हणी,
सुनो सुदामा दास,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ,
चावल की पोट लेकर,
जावो द्वारिका नाथ।।
गायक – सरिता जी खारवाल।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818