बात समझ में आई अब हमारी,
झूठी है सारी दुनिया दारी,
और ना लो अब परीक्षा हमारी,
आए शरण अब प्रभु हम तुम्हारी।।
तर्ज – तुम्ही मेरे मंदिर।
मैं मेरा का भरम अब है टूटा,
समय ने किया सब रिश्ता झूठा,
मोह माया में मति गई मारी,
आए शरण अब प्रभु हम तुम्हारी,
बात समझ में आयी अब हमारी,
झूठी है सारी दुनिया दारी।।
जिनपे भरोसा करके समझा था अपना
टूटा भरम सारा मिथ्या था सपना,
मतलब की थी सब की यारी
आए शरण अब प्रभु हम तुम्हारी,
बात समझ में आयी अब हमारी,
झूठी है सारी दुनिया दारी।।
चंचल मन ने बहुत नचाया,
धन ही कमाने का लक्ष्या बनाया,
चैन गया उड़ी नींद बिचारी,
आए शरण अब प्रभु हम तुम्हारी,
बात समझ में आयी अब हमारी,
झूठी है सारी दुनिया दारी।।
अंतिम आशा भरोसा तिहारा,
थक गया हूँ चहुँ ओर से हारा,
दृष्टि दया की करो मंगलकारी,
आए शरण अब प्रभु हम तुम्हारी,
बात समझ में आयी अब हमारी,
झूठी है सारी दुनिया दारी।।
बात समझ में आई अब हमारी,
झूठी है सारी दुनिया दारी,
और ना लो अब परीक्षा हमारी,
आए शरण अब प्रभु हम तुम्हारी।।
प्रेषक – राघवेन्द्र शर्मा (हिसार)