बाबा हो बाबा की,
लिख ल कपार में,
सहब कतेक दुख,
हम संसार में,
डुइब जेतई दुनिया हमर,
नोरक धार में,
बाबा हौ बाबा की,
लिख ल कपार मे।।
दोष हमर की भेलई,
किछ न जनै छी,
कोन जनम के,
पाप कटे छी,
किरपा आँहा से बाबा,
मांगे छी उधार में,
बाबा हौ बाबा की,
लिख ल कपार मे।।
आब ने मनोरथ कोनो,
ने कोनो सेहंता,
दुनिया में एलो कोन,
लागल अदीनता,
ओझरायल प्राण हमर,
बीपत के जल में,
बाबा हौ बाबा की,
लिख ल कपार मे।।
‘सच्चिदानंद’ ई,
वेदना लिखइए,
पुत्र तोहर ई बाबा,
विनती गबइए,
तेजब प्राण बाबा,
तोहर दरबार में,
बाबा हौ बाबा की,
लिख ल कपार मे।।
बाबा हो बाबा की,
लिख ल कपार में,
सहब कतेक दुख,
हम संसार में,
डुइब जेतई दुनिया हमर,
नोरक धार में,
बाबा हौ बाबा की,
लिख ल कपार मे।।
गायक – अरविन्द सिंह।
प्रेषक – हेमंत झा प्यासा।
9831228059