बाबा इबके फागण आज्याईये,
रंग लावांगे हम भी।।
राम लखन लयाणा जनक दुलारी,
जिनके बाबा तुम सो पुजारी,
एक ब दर्श करा जाईये,
रंग लावांगे हम भी,
बाबा इबके फागण आजाईये,
रंग लावांगे हम भी।।
जैसे बृज में खेलें मुरारी,
हम भी संग में,खेलां थारी,
इन भगतां क रंग लाज्याईये,
रंग लावांगे हम भी,
बाबा इबके फागण आजाईये,
रंग लावांगे हम भी।।
जब जब आवः फागण महीना,
फेर गाम आणां जाणां कहीं ना,
प्रेम रंग बरसा जाईये,
रंग लावांगे हम भी,
बाबा इबके फागण आजाईये,
रंग लावांगे हम भी।।
कप्तान शर्मा देखःनजारा,
कपिल भगत भी संग मे आरया,
कुछ आ क ज्ञान सिखा जाईये,
रंग लावांगे हम भी,
बाबा इबके फागण आजाईये,
रंग लावांगे हम भी।।
बाबा इबके फागण आज्याईये,
रंग लावांगे हम भी।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार खरक जाटान(रोहतक)
9992976579