बाबा करते है अटेन्शन,
दे दे मुझे अपनी टेंशन,
एक बार तो टेंशन को तुम,
करके देखो नो मेंशन,
दाता तो वही एक दाता है,
जन्मों का उससे नाता है।।
तर्ज – सूरज कब दूर गगन से।
सौंप दे अपनी जीवन नैया,
श्याम प्रभु के हाथों में,
सच्चे सुख का चाँद खिलेगा,
दुःख की काली रातों में,
जो सांसे बीती जाए,
वो लौट कभी ना आए,
फिर सोच सोच कर प्यारे,
तू क्यों ये समय गँवाए,
दाता तो वही एक दाता है,
जन्मों का उससे नाता है।।
साथ चले ना धन और दौलत,
ना कोई भाई बंधु,
नाम खज़ाना संग जाएगा,
नाम सुमर ले प्यारे तू,
मतलब की दुनिया सारी,
क्यों तूने उमर गँवाई,
गफलत की नींद में सोया,
कर अपने साथ सचाई,
दाता तो वही एक दाता है,
जन्मों का उससे नाता है।।
श्याम शरण में आकर प्यारे,
किस्मत के खुलते द्वारे,
‘साखी’ रहमत ऐसी बरसे,
कर दे जो वारे न्यारे,
तू छोड़ के चिंता सगळी,
बस साँचा नाम लिए जा,
अब भी ना वक़्त गया है,
तू सफल ये जीवन कर जा,
दाता तो वही एक दाता है,
जन्मों का उससे नाता है।।
बाबा करते है अटेन्शन,
दे दे मुझे अपनी टेंशन,
एक बार तो टेंशन को तुम,
करके देखो नो मेंशन,
दाता तो वही एक दाता है,
जन्मों का उससे नाता है।।
लेखक – ताराचन्द खत्री ( साखी )
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