बाबा मेरे घर भी आजा,
तू कढी खिचड़ो खा जा,
मनै क्यू तरसावे सै
तू नीले चढ़ के आजा,
इब क्यू देर लगावे सै।।
नानी बाई का भात भरया,
मेरै त दूर खड्या,
मै भी बाबा बालक तेरी,
चौखट आय पड्या
मेरी बिगड़ी बात बना दे,
इस बालक न अपना ले,
मने क्यू तरसावे सै,
तू नीले चढ़ के आजा,
इब क्यू देर लगावे सै।।
मीरा बाई और सुदामा के,
रिश्तेदार तेरे,
इन सब भगता का तै बाबा,
पल म काम करे,
जद करमा तने बुलाया,
त प्रेम त खिचड् खाया,
मेरा मन लल्चावे सै,
तू नीले चढ़ के आजा,
इब क्यू देर लगावे सै।।
हर ग्यारस न बाबा,
थारे खाटू आऊगा,
तेरा प्रेमया न संग ले क,
तने रिझाऊगा,
तेरी निश दिन ज्योत जगाउ,
तेरा गुण गान कराउ,
मेरा मन हर्षावे सै,
तू नीले चढ़ के आजा,
इब क्यू देर लगावे सै।।
श्याम सुंदर शर्मा भी बाबा,
चरण दास तेरा,
इक बर आ के देख ले,
बाबा हाल मेरा,
बाबा मेरे प तरस तू खाले,
तू आ के गले लगा ले,
तेरा के घट जावे सै,
तू नीले चढ़ के आजा,
इब क्यू देर लगावे सै।।
बाबा मेरे घर भी आजा,
तू कढी खिचड़ो खा जा,
मनै क्यू तरसावे सै
तू नीले चढ़ के आजा,
इब क्यू देर लगावे सै।।
लेखक / गायक – श्याम सुंदर शर्मा।
मो. 9887125804