बाबा मुझे ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,
दिया तूने जितना,
तूने बना दी है औकात,
बाबा थाम के मेरा हाथ,
दिया तूने जितना,
दिया तूने जितना,
बाबा मुझें ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,
दिया तूने जितना।।
तर्ज – चिट्ठी ना कोई सन्देश।
जितना मैं परेशां था,
उतना तू मेहरबां था,
हर इक क़दमों का मेरे,
बाबा तू निगेहबाँ था,
आने ना दी कोई आंच,
तूने बना दी मेरी बात,
दिया तूने इतना,
तूने बना दी है औकात,
बाबा थाम के मेरा हाथ,
दिया तूने जितना।।
जो तुझसे मिला है मुझे,
क्या दे पाऊंगा तुझे,
तूने ही जलाए है,
दीपक जो थे मेरे बुझे,
जीवन में उजाला तू,
मेरा रखवाला तू,
दिया तूने इतना,
तूने बना दी है औकात,
बाबा थाम के मेरा हाथ,
दिया तूने जितना।।
बाबा है दानी तू,
और मैं अज्ञानी हूँ,
बदले दुनिया सारी,
बाबा ना बदलना तू,
रहे कृपा का सर पे हाथ,
भूलूँ ना कभी मैं ये बात,
दिया तूने इतना,
तूने बना दी है औकात,
बाबा थाम के मेरा हाथ,
दिया तूने जितना।।
बाबा मुझे ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,
दिया तूने जितना,
तूने बना दी है औकात,
बाबा थाम के मेरा हाथ,
दिया तूने जितना,
दिया तूने जितना,
बाबा मुझें ये तो बता,
कोई इतना भी देता है क्या,
दिया तूने जितना।।
स्वर – संजय मित्तल जी।
लिरिक्स – विनोद अग्रवाल जी।