बाबा रुठ के मत जाना,
मुझको है तुझसे प्यार,
बाबा भुल नहीं जाना,
ना होना बेगाना,
मुझको है तुझसे प्यार,
बाबा भुल नहीं जाना।।
तर्ज – तुम रूठ के मत जाना।
दरबार लगाया है,
श्रृंगार सजाया है,
तुझे दिल से बुलाया है,
बाबा छोड नहीं जाना।।
दुनिया से हारा हूं,
भटका बेसहारा हूं,
हारे का सहारा तु,
मुझे राह दिखा जाना।।
तूने खाटू नगरी में,
बैकुंठ सजाया है,
दर की महिमा भारी,
मुझको भी दिखा जाना।।
कहता जग सारा है,
तू चांद से प्यारा है,
तुझसे है जग रोशन,
अन्धकार मिटा जाना।।
ये ‘रमेश’ दीवाना है,
तेरा रुप सुहाना है,
मेरे दिल की धडकन में,
बाबा आके बस जाना।।
बाबा रुठ के मत जाना,
मुझको है तुझसे प्यार,
बाबा भुल नहीं जाना,
ना होना बेगाना,
मुझको है तुझसे प्यार,
बाबा भुल नहीं जाना।।
गायक – अनिल लाटा जी।
लेखन – रमेश सरावगी जी।
7980726652