बाबा थारी चौखट पर,
सारी दुनिया ने आनो है,
कलयुग में प्राणी को,
बस यो ही ठिकानो है,
बाबा थारी चौंखट पर,
सारी दुनिया ने आनो है,
बाबा थारी चौंखट पर।।
तर्ज – बाबुल का ये घर।
आज नहीं आया जो,
वा ने काल पड़ेगो आनो,
जितनी भी देर करसी,
वा ने पड़सी हाँ पछतानो,
लख दातारि के,
आगे मस्तक झुकानो है,
बाबा थारी चौंखट पर,
सारी दुनिया ने आनो है,
बाबा थारी चौंखट पर।।
जो भी एक बार आयो,
वो तो आ को ही हो बैठ्यो,
बण के दीवानो वो,
सारी दुनिया ने भूल बैठ्यो,
साँच ले तो आंच नहीं,
यो परखसी जमानो है,
बाबा थारी चौंखट पर,
सारी दुनिया ने आनो है,
बाबा थारी चौंखट पर।।
श्याम का भगत देखो,
कैसी मस्ती में झूम रह्या,
‘रवि’ कवे छोड़ के फिकर,
परवाना सा घूम रह्या,
थारी ही तो माया है,
इब थाने के बतानो है,
बाबा थारी चौंखट पर,
सारी दुनिया ने आनो है,
बाबा थारी चौंखट पर।।
बाबा थारी चौखट पर,
सारी दुनिया ने आनो है,
कलयुग में प्राणी को,
बस यो ही ठिकानो है,
बाबा थारी चौंखट पर,
सारी दुनिया ने आनो है,
बाबा थारी चौंखट पर।।
स्वर – राजू मेहरा जी।