बाबा उन भक्तों के,
वश में हो जाते है,
रोज नियम से,
श्याम को जो भी,
भजन सुनाते है।bd।
तर्ज – सावन का महीना।
सुर ना ही ताल देखे,
देखता ये भाव है,
बढ़ जाता सांवरे का,
उनसे लगाव है,
उनके घर में बाबा,
नित आते जाते है,
रोज नियम से,
श्याम को जो भी,
भजन सुनाते है।bd।
रीझता नहीं है बाबा,
दौलत के जोर से,
खिंचा चला आए केवल,
भजनो की डोर से,
भजनो के लालच में,
ये दौड़ के आते है,
रोज नियम से,
श्याम को जो भी,
भजन सुनाते है।bd।
श्याम मिलन का ‘माधव’,
भजन ही है जरिया,
मिलता है भजनो से,
मेरा सावंरिया,
श्याम प्रभु आकर के,
उन्हें दरश दिखाते है,
रोज नियम से,
श्याम को जो भी,
भजन सुनाते है।bd।
बाबा उन भक्तों के,
वश में हो जाते है,
रोज नियम से,
श्याम को जो भी,
भजन सुनाते है।bd।
Singer & Lyrics – Abhishek Sharma ‘Madhav’