बाबोसा एक हमको,
बस तेरा सहारा है,
तेरे ही भरोसे अब,
परिवार हमारा है।।
तर्ज – संसार एक नदिया है।
जिस नैया का तू माझी,
मिल जाये उसे साहिल,
भटके हुए रही को,
पहुँचाये तू मंज़िल,
पहुँचाये तू मंज़िल,
भवसागर से तूने,
कितनो को तारा है,
तेरे ही भरोसे अब,
परिवार हमारा है।।
विश्वास की ये डोरी,
टूटे न कभी बाबोसा,
ये प्रीत है सच्ची मेरी,
छुटे न कभी बाबोसा,
छुटे न कभी बाबोसा,
ये जीवन है तेरा,
तू ही पालनहारा है,
तेरे ही भरोसे अब,
परिवार हमारा है।।
श्रष्टि के कण कण में,
बाबोसा समाये हो,
मंजू बाईसा को अपने,
चरणों मे बिठाये हो,
चरणों मे बिठाये हो,
“दिलबर” कहे तुम बिन,
ना अब कोई हमारा है,
तेरे ही भरोसे अब,
परिवार हमारा है।।
बाबोसा एक हमको,
बस तेरा सहारा है,
तेरे ही भरोसे अब,
परिवार हमारा है।।
गायिका – संगीता कर्जना मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365
प्रेषक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।
(म्यूजिक डायरेक्टर एवम कंपोजर)
मो. 9820947184