बाबोसा मेरी अर्जी,
स्वीकार तू कर लेना,
आया हूँ शरण तेरी,
चरणों में जगह देना।।
तर्ज – बचपन की मोहब्बत को।
मैं दीन हीन निर्बल,
तुझे याद करूँ हरपल,
है अतुल बलि मुझको,
तुम दे दो अपना बल,
तुम दाता हो मैं याचक,
मेरी झोली भर देना,
आया हूँ शरण तेरी,
चरणों में जगह देना।।
हनुमत की कृपा से है,
तेरी कलयुग में सत्ता,
तेरी मर्जी के बिना बाबा,
हिल न सके पत्ता,
नादान समझ हमको,
बाबा तू निभा लेना,
आया हूँ शरण तेरी,
चरणों में जगह देना।।
हर ओर निराशा है,
तुमसे ही बंधी एक आस,
तेरी चौखट न छोड़ू,
जब तक है तन में सांस,
मुझे दिल मे बिठा ‘दिलबर’,
मेरे भाग्य जगा देना,
आया हूँ शरण तेरी,
चरणों में जगह देना।।
बाबोसा मेरी अर्जी,
स्वीकार तू कर लेना,
आया हूँ शरण तेरी,
चरणों में जगह देना।।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
9907023365