बाबोसा मिल जाएंगे,
क्यो दर दर तू भटक रहा है,
क्यो तू खोए भरोसा,
जिसकी खोज में भटक रहा,
तेरे साथ है वो बाबोसा,
हो जो श्रद्धा खरी,
ये है भक्ति भरी,
हर आस तेरी ये होवे पुरी,
मन में रख विश्वास तू बन्दे वो,
साँची प्रीत निभायेगे,
पता नही किस रूप में आकर,
बाबोसा मिल जायेगे।।
भावना की दिव्य ज्योति,
मन मे जाग्रत होती है,
जीवन के इस उपवन में ये,
भक्ति के बीज बोती है,
कर्म किये जा फल की चिंता,
ना करना तू कभी,
श्रद्धा से तू भक्ति करले,
तुझ बिन न रह पायेंगे,
पता नही किस रूप में आकर,
बाबोसा मिल जायेगे।।
बोया पेड़ बबूल का तो,
आम कहाँ से पाओगे,
बिन दर्शन बाबोसा के जीवन,
यूं ही व्यर्थ गंवाओगे,
संकल्प अटल,
मिले भक्ति का बल,
फिर होंगे तेरे पुण्य प्रबल,
“दिलबर” ध्यान लगा तू दिल से,
वो दौड़े दौड़े आएंगे,
पता नही किस रूप में आकर,
बाबोसा मिल जायेगे।।
क्यो दर दर तू भटक रहा है,
क्यो तू खोए भरोसा,
जिसकी खोज में भटक रहा,
तेरे साथ है वो बाबोसा,
हो जो श्रद्धा खरी,
ये है भक्ति भरी,
हर आस तेरी ये होवे पुरी,
मन में रख विश्वास तू बन्दे वो,
साँची प्रीत निभायेगे,
पता नही किस रूप में आकर,
बाबोसा मिल जाएंगे,
पता नही किस रूप में आकर,
बाबोसा मिल जायेगे।।
गायक – सूरज मेहता मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365
प्रेषक – श्री हर्ष व्यास मुम्बई।
(म्यूजिक डायरेक्टर एवम कंपोजर)
मो . 9820947184