बाबोसा रा दर्श,
करा दो बाईसा,
बाबोसा रा दर्शन कर,
भाग जागे,
भाग जागे रे म्हारा,
भाग जागे,
बाबोसा रा दर्शन,
सुं भाग जागे।।
तर्ज – मिश्री को बाग लगादे।
घणा दिना सु म्हाने,
ओल्यु आवे बाईसा,
देख बाबोसा री सूरत,
म्हारा दुखड़ा भागे,
बाबोसा रा दर्शन,
कर भाग जागे।।
दर्श की कबसे,
प्यासी म्हारी अँखियाँ,
थारे दर्शन सुं,
हिवड़े मे ज्योत जागे,
बाबोसा रा दर्शन,
कर भाग जागे।।
प्रीत पुरानी बाईसा,
बाबोसा से म्हारी,
बाबोसा बिण,
नही म्हारो मनड़ो लागे,
बाबोसा रा दर्शन,
कर भाग जागे।।
बाईसा म्हाने जो थे,
दर्श न करासी,
थारी या प्रियंका,
बोलो कठे जासी,
‘दिलबर’ बाबोसा,
है थारे सागे,
बाबोसा रा दर्शन,
कर भाग जागे।।
बाबोसा रा दर्श,
करा दो बाईसा,
बाबोसा रा दर्शन कर,
भाग जागे,
भाग जागे रे म्हारा,
भाग जागे,
बाबोसा रा दर्शन,
सुं भाग जागे।।
गायिका – प्रियंका जैन अम्बाला।
लेखक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365