ओ बाबोसा यूँ ही चलता रहे,
जन्मों जनम ये सिलसिला।
दोहा – मुझे खुशियो का संसार मिला,
मेरी जिंदगी में जब से तू आया है,
उजड़े हुये चमन में तू ही बाबोसा,
फिर से बहार लाया है।
तर्ज – तेरी मिट्टी में मिल जावा।
ये तार मेरे तेरे दर से जुड़े,
मुझे खुशियो का संसार मिला,
ओ बाबोसा यूँ ही चलता रहे,
जन्मों जनम ये सिलसिला,
हो हनुमत के आज्ञाकारी,
तेरी जग में अमिट कहानी है,
मंजू बाईसा में समाये हो तुम,
ये दुनिया तेरी दीवानी है।।
तेरी भक्ति में खो जाँऊ,
मैं तेरा ही हो जाँऊ,
इतनी सी है दिल की आरजू,
तेरे चरणों की रज पाँउ,
तेरे रंग में ही रंग जाँऊ,
इतनी सी है दिल की आरजू,
जय हो …. तेरी जय हो ….
जय हो… जय हो, जय हो।।
जहाँ भक्तो की तकदीर है बनती,
बाबोसा का द्वारा है,
एक नही लाखो भक्तो की,
बिगड़ी को इसने संवारा है,
इन हाथों की लकीरो में,
बाबा तुम्हारा नाम है,
तेरे नाम से ही मेरी सुबह,
तेरे नाम से ही मेरी शाम है,
तेरे चरणों से लग जाँऊ,
तेरी कृपा को मैं पाँउ,
इतनी सी है दिल की आरजू,
तेरी भक्ति में खो जाँऊ,
मैं तेरा ही हो जाँऊ,
इतनी सी है दिल की आरजू,
जय हो …. तेरी जय हो ….
जय हो… जय हो, जय हो।।
जीवन के इस दर्पण में बाबा,
तेरी छवि को निहारा करू,
मेरे रोम रोम हर सांस सास पर,
तेरा नाम पुकारा करूँ,
‘दिलबर’ ओ दिलदार मेरे,
मेने तन मन तुझपे वार दिया,
छोड़ जगत के रिश्ते कमल,
बस तुझपे ही एतबार किया,
तेरे नेनो में बस जाँऊ,
बंद पलको में हो जाँऊ,
इतनी सी है दिल की आरजू,
तेरी भक्ति में खो जाँऊ,
मैं तेरा ही हो जाँऊ,
इतनी सी है दिल की आरजू,
जय हो …. तेरी जय हो ….
जय हो… जय हो, जय हो।।
गायक – कमलेश काठा।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन, म.प्र. 9907023365