बड़े प्रेम से मेरा चलता गुजारा,
तुम्हारी दया से तुम्हारी कृपा से,
हर मुश्किलों में मुझको मिला है सहारा,
तुम्हारी दया से तुम्हारी कृपा से।।
तर्ज – हमें और जीने की।
तुम जो ना होते ठाकुर हमारे,
रह जाते हम तो हारे के हारे,
मेरी कश्तियो को मिला है किनारा,
तुम्हारी दया से तुम्हारी कृपा से,
बड़े प्रेंम से मेरा चलता गुजारा,
तुम्हारी दया से तुम्हारी कृपा से।।
मेरी ज़िंदगी में खुशिया है तुमसे,
बनी पहचान मेरी तुम्हारे ही दम से,
जब से बना हूँ बाबा दास तुम्हारा,
तुम्हारी दया से तुम्हारी कृपा से,
बड़े प्रेंम से मेरा चलता गुजारा,
तुम्हारी दया से तुम्हारी कृपा से।।
मेरे संग में जो खड़ा तू ना होता,
तेरा ‘श्याम’ जाने कहाँ पड़ा होता,
बड़े ही नसीबो से मिला तेरा द्वारा,
तुम्हारी दया से तुम्हारी कृपा से,
बड़े प्रेंम से मेरा चलता गुजारा,
तुम्हारी दया से तुम्हारी कृपा से।।
बड़े प्रेम से मेरा चलता गुजारा,
तुम्हारी दया से तुम्हारी कृपा से,
हर मुश्किलों में मुझको मिला है सहारा,
तुम्हारी दया से तुम्हारी कृपा से।।
स्वर / लेखन – श्री श्याम अग्रवाल जी।