बड़ी आशा लगाए निहारे तुम्हे,
क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे,
नाथ कबतक रहेंगे रूठे भला,
देखकर प्रेम आंसू पिघल जाएंगे,
बड़ी आशा लगाये निहारें तुम्हे,
क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे।।
तर्ज – तुम अगर साथ देने का वादा करो।
शबरी केवट जटायु अहिल्या आदि के,
पास पहुंचे स्वयं वो अवध छोड़कर,
ये है गाथाएं सच तो भरोसा हमें,
ये है गाथाएं सच तो भरोसा हमें,
खुद-ब-खुद नाथ आकर के मिल जाएंगे,
नाथ कबतक रहेंगे रूठे भला,
देखकर प्रेम आंसू पिघल जाएंगे।।
दर्शन देने रघुवर जी आएँगे जब,
हम ना मानेंगे अपनी चलाए बिना,
जाने ना देंगे वापस किसी शर्त पर,
जाने ना देंगे वापस किसी शर्त पर,
पद कमल को पकड़कर मचल जाएंगे,
नाथ कबतक रहेंगे रूठे भला,
देखकर प्रेम आंसू पिघल जाएंगे।।
फिर सुनाएंगे खोटी खरी आपको,
और पूछेंगे देरी लगाई कहाँ,
फिर निवेदन करेंगे ना छोड़ो हमें,
फिर निवेदन करेंगे ना छोड़ो हमें,
प्रभु चरणों में हम सब लिपट जाएंगे,
नाथ कबतक रहेंगे रूठे भला,
देखकर प्रेम आंसू पिघल जाएंगे।।
स्वप्न साकार होगा तभी राम जी,
हम पे हो जाए थोड़ी कृपा आपकी,
पूर्ण कर दो मनोरथ हम सब के,
पूर्ण कर दो मनोरथ हम सब के,
जाने कब प्राण तन से निकल जाएंगे,
बड़ी आशा लगाये निहारें तुम्हे,
क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे।।
बड़ी आशा लगाए निहारे तुम्हे,
क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे,
नाथ कबतक रहेंगे रूठे भला,
देखकर प्रेम आंसू पिघल जाएंगे,
बड़ी आशा लगाये निहारें तुम्हे,
क्षण विरह के मिलन में बदल जाएंगे।।
स्वर – श्री सत्यनारायण जी तिवारी।