बहुत दिन से तारीफ़,
सुनकर तुम्हारी,
शरण आ गया,
श्यामसुन्दर तुम्हारी।।
जो अब टाल दोगे,
मुझे अपने दर से,
तो होगी हँसी नाथ,
दर-दर तुम्हारी,
शरण आ गया,
श्यामसुन्दर तुम्हारी।।
सुना है कि उसको ना,
करुणा सताती,
जो रहते है करुणा,
नज़र पर तुम्हारी,
शरण आ गया,
श्यामसुन्दर तुम्हारी।।
यही प्रार्थना है,
यही याचना है,
जुदा हूँ न नजरों से,
पल भर तुम्हारी,
शरण आ गया,
श्यामसुन्दर तुम्हारी।।
ये दृग ‘बिन्दु’ तुमको,
खबर दे रहे है,
की है याद दिल में,
बराबर तुम्हारी,
शरण आ गया,
श्यामसुन्दर तुम्हारी।।
बहुत दिन से तारीफ़,
सुनकर तुम्हारी,
शरण आ गया,
श्यामसुन्दर तुम्हारी।।
लेखन – बिन्दु जी महाराज।
गायक – अभिनन्दन पाण्डेय।
7518575143