कोई रोक सके,
न बाईसा को,
वो जा रही ज्यो चले पवन,
बाईसा अपने भक्तो के,
द्वार चली है,
भक्तो का करने,
उद्धार चली है।।
तर्ज – पालकी में होके सवार।
इस जग में आई,
संकट मिटाने,
बाबोसा भगवन की,
महिमा फैलाने,
जिस घर में पड़े इनके चरण,
इनके चरण हाँ इनके चरण,
उस घर मे खुशियाँ,
अपार मिली है,
भक्तो का करने,
उद्धार चली है।।
ये है ममतामयी,
एक माँ,
बाबोसा की अदभुत,
है शक्ति,
जिनके रग रग में,
है ये भक्ति,
सुना है बाईसा बिना जीवन,
सुन करके ये तो,
पुकार चली है,
भक्तो का करने,
उद्धार चली है।।
ये सोना ये चांदी,
ये हीरे ये मोती हो,
बाईसा बिना,
है सब किस काम का,
बाईसा बिन जीवन,
बस नाम का,
बस नाम का,
‘दिलबर’ ये हम भक्तो की,
धडकन धड़कन,
धड़कन रिया को करने,
वो प्यार चली है,
भक्तो का करने,
उद्धार चली है।।
कोई रोक सके,
न बाईसा को,
वो जा रही ज्यो चले पवन,
बाईसा अपने भक्तो के,
द्वार चली है,
भक्तो का करने,
उद्धार चली है।।
गायिका – रिया जैन।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365