बैठा बैठा वो मेवाड़ मण्डफिया माय,
सांवरिया मारा मोटा धणी।।
मण्डपिया मेवाड में मोटो मन्दिरयो,
सब भक्ता को मनडो मोह लियो,
थारी ध्वजा वो उड़े आसमान,
सांवरिया मारा मोटा धणी,
बैठा बैठा वो मेवाड मण्डपिया माय,
सांवरिया मारा मोटा धणी।।
मारे मन का थे हो मोहन,
मैं हां थारे चरणा रा चाकर,
हो भरदे भरदे वो भक्ता रा भण्डार,
सांवरिया मारा मोटा धणी,
बैठा बैठा वो मेवाड मण्डपिया माय,
सांवरिया मारा मोटा धणी।।
सरवर उपर झुलण जावे,
हे रंग गुलाल टाबरिया उड़ावे,
नाचे नाचे वो मेला भक्त अपार,
सांवरिया मारा मोटा धणी,
बैठा बैठा वो मेवाड मण्डपिया माय,
सांवरिया मारा मोटा धणी।।
राधाजी संग में झुला झुले,
हे गोपीया रे संग में झुला झुले,
हे झुले झुले मारा मदन गोपाल,
सांवरिया मारा मोटा धणी,
बैठा बैठा वो मेवाड मण्डपिया माय,
सांवरिया मारा मोटा धणी।।
बैठा बैठा वो मेवाड़ मण्डफिया माय,
सांवरिया मारा मोटा धणी।।
गायक – भगवत सुथार।
प्रेषक – लोकेश गाडरी।