हाल क्या हम छुपाए आपसे,
आप तो सबकी खबर रखते हो,
बैठे बैठे खाटू में ओ सांवरे,
सारे भगतों पर नजर रखते हो।।
तर्ज – आंख है भरी भरी और तुम।
तेरी नजरे तूफानों से,
नाव को खींच लाती है,
जिसे जैसी जरूरत हो,
मदद तेरी पहुंच जाती है,
गैर पर भी आप तो सांवरे,
अपनों जैसा ही प्यार रखते हो,
बैठे बैठे खाटु में ओ साँवरे,
सारे भगतों पर नजर रखते हो।।
मैं कैसे मान लूं बाबा,
के मेरी हार बाक़ी है,
मेरे विश्वास में बाबा,
तुम्हारा द्वार बाक़ी है,
बिगड़ी हो गर बात तो संवारे,
तुम बनाने का काम करते हो,
बैठे बैठे खाटु में ओ साँवरे,
सारे भगतों पर नजर रखते हो।।
ना हो जब तक कृपा तेरी,
मै आगे बढ़ नहीं सकता,
बिना तेरे सहारे के,
मैं दुख से लड़ नहीं सकता,
साथी बनके श्याम बाबा,
आप तो साथ देने का हुनर रखते हो,
बैठे बैठे खाटु में ओ साँवरे,
सारे भगतों पर नजर रखते हो।।
हाल क्या हम छुपाए आपसे,
आप तो सबकी खबर रखते हो,
बैठे बैठे खाटू में ओ सांवरे,
सारे भगतों पर नजर रखते हो।।
गायिका – राधिका शर्मा।
लेखक – जयंत सांखला।