बैठी मंदिर में जगदम्बे,
श्रीयादे ओढ़ चुनड़ी,
ओढ़ चुनड़ी ज्वाला,
ओढ़ चुनडी।।
जेला जुमर चम चमाता,
माथे रकड़ी,
कान ओगनियां टोंटियां सौहे,
काना में जड़ी।।
जरी जड़ाऊ जरकस जोली,
तारा सुं जड़ी,
लुभा जुमा बाजुबन,
हाथा में बगड़ी।।
नवरंग मोती स्वर्ण बजंटी,
गला में पड़ी,
नोसर मोती अजब अनौखा,
लड़ी की लड़ी।।
कमर कनोरा पग में आयल,
पायल बिछुड़ी,
हिरा वाली हाथा में,
अनमोल मुन्दड़ी।।
देख्यां ही बण आवे आपकी,
झांकी महिमा बड़ी,
‘रतन’ गावे महिमा थारी,
किशना ने बणी।।
बैठी मंदिर में जगदम्बे,
श्रीयादे ओढ़ चुनड़ी,
ओढ़ चुनड़ी ज्वाला,
ओढ़ चुनडी।।
गायक – पं. रतनलाल प्रजापति।