बजरंग पलके उठाओ, द्वार पे भक्त आये हैँ,
( तर्ज :- बहारो फूल बरसाओ )
बजरंग पलके उठाओ, द्वार पे भक्त आये हैँ,
द्वार पे भक्त आये हैँ।
चरणोँ मेँ चढाने को, श्रद्धा सुमन लाये हैँ,
श्रद्धा सुमन लाये हैँ॥
बजरंग पलकेँ …
जो मिले, झलक तेरी, मिटे प्यास इन आँखोँ की।
मैँने सुना, मेरे बाबा, तूने की पूरी आस लाखोँ की।
हमपे भी प्यार बरसाओ, द्वार पे भक्त आये हैँ॥१॥
द्वार पे …
तेरे सिवा, बाबा मेरे, जग मेँ ना कोई मेरा है।
हारके, दुखोँ से, डाला दर पे तेरे डेरा है।
ऐसे ना हमेँ ठुकराओ, द्वार पे भक्त आये हैँ॥२॥
द्वार पे …
जो तेरे, द्वारे पे आके, शीश चरणोँ मेँ झुकाता।
खुशियोँ , से उसका , दामन है भर जाता।
हमारे भी कष्ट मिटाओ, तेरी शरण मेँ आये हैँ॥३॥
द्वार पे …
जो छोड़ा, हाथ मेरा, तो फिर किधर जायेंगे।
हो जाये, कृपा तेरी, काम ‘खेदड़’ के बन जायेँगे।
अब और न तरसाओ, नैन हमारे भर आये हैँ॥४॥
द्वार पे …
बजरंग पलके उठाओ, द्वार पे भक्त आये हैँ,
द्वार पे भक्त आये हैँ।
चरणोँ मेँ चढाने को, श्रद्धा सुमन लाये हैँ,
श्रद्धा सुमन लाये हैँ॥
बजरंग पलके … “By Pkhedar”