बाजे बाजे बधाई आज,
नंद बाबा के द्वार।
दोहा – आज बर्फी सी ब्रज नार बनी,
गुजिया सी गोपी और गुजा से ग्वाला,
पेड़ा से प्यारे बने बलदेव जी,
रस खीर सिरोहिनी रूप रसाला,
नन्द महिप बने नमकीन से,
और गोकुल गोप सब गरम मसाला,
जायो यशोदा जलेबी सी रानी ने,
रबड़ी सी रात में लडडुआ सो लाला।
बाजे बाजे बधाई आज,
नंद बाबा के द्वार।।
हिल मिल आवे लोग लुगाई,
नंद बाबा को देवे बधाई,
बृजवासीन को आयो ब्रजराज,
नंद बाबा के द्वार,
बाजे बाजे बधाईं आज,
नंद बाबा के द्वार।।
ऐसो सूत यशोदा ने जायो,
ऋषि मुनि भी याको पार न पायो,
हीरे मोती लुटावन पुखराज,
नंद बाबा के द्वार,
बाजे बाजे बधाईं आज,
नंद बाबा के द्वार।।
भादो कृष्ण अष्टमी आई,
‘चित्र विचित्र’ मिल गावे बधाई,
ढोल मृदंग बजे सुर साज,
नंद बाबा के द्वार,
बाजे बाजे बधाईं आज,
नंद बाबा के द्वार।।
नंद के आनंद भयो,
जय कन्हैया लाल की,
हाथी दीने घोड़ा दीने,
और दीने पालकी,
यशोदा ने लालो जायो,
जय कन्हैया लाल की,
दाऊजी के भैया भयों,
जय कन्हैया लाल की,
नंद के आनंद भयो,
जय कन्हैया लाल की।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।
प्रेषक – भूषण शर्मा।
9716605908