बजी कहाँ श्याम की बाँसुरिया,
बजी श्याम की बाँसुरिया,
बाँसुरिया बाँसुरिया,
हाय राम,
बजी कहां श्याम की बंसुरिया,
ओ बजी श्याम की बाँसुरिया।।
ब्रह्मा भूले विष्णु भूले,
भूले नारद ज्ञानी,
तप करना कैलाश पे भूले,
भोले औघड़ दानी,
हो भूले भांग की गठरिया,
गठरिया गठरिया,
हाय राम,
बजी कहां श्याम की बंसुरिया,
ओ बजी श्याम की बाँसुरिया।।
मौन हुए पंछी गण सारे,
गाय चरन बिसराई
जमुना जी की धारा रुक गई,
ऐसी तान सुनाई,
ओ बैठे डाल पे सांवरिया,
सांवरिया सांवरिया,
हाय राम,
बजी कहां श्याम की बंसुरिया,
ओ बजी श्याम की बाँसुरिया।।
दूध दही बेचन को ग्वालन,
मथुरा जा नहीं पाई,
कृष्ण कन्हैया मुरली वाले,
ऐसी तान सुनाई,
ओ भूली राह में गुजरिया,
गुजरिया गुजरिया,
हाय राम,
बजी कहां श्याम की बंसुरिया,
ओ बजी श्याम की बाँसुरिया।।
राधा के संग कृष्ण कन्हाई,
हिलमिल रास रचाए,
वो छवि देखन खातिर ‘शर्मा’,
मन ही मन ललचाए,
ओ तरसे नैनो की पुतरिया,
पुतरिया पुतरिया,
हाय राम,
बजी कहां श्याम की बंसुरिया,
ओ बजी श्याम की बाँसुरिया।।
बजी कहाँ श्याम की बाँसुरिया,
बजी श्याम की बाँसुरिया,
बाँसुरिया बाँसुरिया,
हाय राम,
बजी कहां श्याम की बंसुरिया,
ओ बजी श्याम की बाँसुरिया।।
स्वर – लखबीर सिंह लख्खा जी।