तुम मन के मंदिर में,
रामलला संग रहते हो,
संकट की हर घड़ियों में,
साथ मेरे तुम रहते हो,
बालाजी आ जाओ,
आकर दर्शन दे जाओ,
तुम मन के मंदिर में,
रामलला संग रहते हो।।
तर्ज – तुम दिल की धड़कन में।
भूल हुई है लाखों मुझसे,
फिर भी कृपा बरसाते हो,
मेरी भूल बुलाकर तुम,
चरणों से लगाते हो,
बालाजी आ जाओं,
आकर दर्शन दे जाओं,
तुम मन के मंदिर में,
रामलला संग रहते हो।।
बाबा ने सब है दिया,
कोई ना शिकायत है,
धन ना दौलत चाहूं मैं,
मांगु भक्ति विरासत में,
बालाजी आ जाओं,
आकर दर्शन दे जाओं,
तुम मन के मंदिर में,
रामलला संग रहते हो।bd।
देर न कर तू जल्दी चल,
हनुमत के अब होंगे दर्शन,
बालाजी वहीं पे मिले,
भजन राम के जहां पे चले,
बालाजी आ जाओं,
आकर दर्शन दे जाओं,
तुम मन के मंदिर में,
रामलला संग रहते हो।।
मात-पिता और बंधु सखा,
सब कुछ मेरे तुम ही हो,
छोटे से इस जीवन में,
हर शुरुआत तुम्ही से हो,
बालाजी आ जाओं,
आकर दर्शन दे जाओं,
तुम मन के मंदिर में,
रामलला संग रहते हो।bd।
तुम मन के मंदिर में,
रामलला संग रहते हो,
संकट की हर घड़ियों में,
साथ मेरे तुम रहते हो,
बालाजी आ जाओ,
आकर दर्शन दे जाओं,
तुम मन के मंदिर में,
रामलला संग रहते हो।।
स्वर / रचना – पंडित मनोज जी नागर।
संपर्क – 9893377018