मेरे बालाजी बलकारी ने,
शंकर के अवतारी ने,
दो दो कोठी बणवादी,
मैं घुमूं रोज सफारी में,
मेरें बालाजी बलकारी ने।।
सुपने के महां दिये दिखाई,
न्युं कहं अंजनी लाला जी,
आज्या भक्त तेरे ठाठ करूं,
खोलुं किस्मत का ताला जी,
पुजुं संकटहारी ने,
शंकर के अवतारी ने,
दो दो कोठी बणवादी,
मैं घुमूं रोज सफारी में,
मेरें बालाजी बलकारी ने।।
राम धुणी बजराटी के महां,
और चालती चालीसा,
भजन रंग मस्त रहे जा,
तन मन में घलज्या घी सा,
नौकरी सरकारी में,
शंकर के अवतारी ने,
दो दो कोठी बणवादी,
मैं घुमूं रोज सफारी में,
मेरें बालाजी बलकारी ने।।
घर के ऊपर धज्जा लहरावः,
रोग दोष भी दुर रहः,
गलती त ज कोए आ भी जा त,
ऐसा यो मजबुर करः,
आज बणा दिया पुजारी मैं,
शंकर के अवतारी ने,
दो दो कोठी बणवादी,
मैं घुमूं रोज सफारी में,
मेरें बालाजी बलकारी ने।।
गाम समाल में कप्तान शर्मा,
जोत जगावः बाबा की,
नरैन्द्र कौशिक करः जागरण,
महिमा गावः बाबा की,
ढाल दिया लहकारी में,
शंकर के अवतारी ने,
दो दो कोठी बणवादी,
मैं घुमूं रोज सफारी में,
मेरें बालाजी बलकारी ने।।
मेरे बालाजी बलकारी ने,
शंकर के अवतारी ने,
दो दो कोठी बणवादी,
मैं घुमूं रोज सफारी में,
मेरें बालाजी बलकारी ने।।
गायक – नरेंद्र कौशिक जी।
प्रेषक – राकेश कुमार खरक जाटान(रोहतक)
9992976579