बालाजी चाला पाड़ दे,
काढ़ के भूत लूगाइयां के,
लोगां में बांड़ दें।।
सारा घर का काम करू मिलै,
फेर भी बदनामी,
सुसरा तो मेरा नु कह सै या,
बोलै मेरे स्याहमी,
ऐसा झाड़ा मार दे,
काढ़ के भूत लूगाइयां के,
लोगां में बांड़ दें,
बालाजी चाला पाड़ दे।।
तेरे नाम की ज्योत जगाई,
पेशी आवै स,
शयाणे भुतां की बाबा ना,
पार बसावै स,
इनका ब्योत बिगाड़ दे,
काढ़ के भूत लूगाइयां के,
लोगां में बांड़ दें,
बालाजी चाला पाड़ दे।।
संकट बैरी जोर जमावै,
मैं दुख पाई हो,
तेरे भवन में बाला जी,
मन्ने अर्जी लाई हो,
दो ये सोटे गाड दे,
काढ़ के भूत लूगाइयां के,
लोगां में बांड़ दें,
बालाजी चाला पाड़ दे।।
अशोक भगत ने बालाजी,
बस तेरा सहारा स,
लाल लंगोटे वाले आजया,
जग दुख पा रह्या स,
दुख बढ्या ने हाड़ दे,
काढ़ के भूत लूगाइयां के,
लोगां में बांड़ दें,
बालाजी चाला पाड़ दे।।
बालाजी चाला पाड़ दे,
काढ़ के भूत लूगाइयां के,
लोगां में बांड़ दें।।
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राकेश कुमार खरक जाटान
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